Anjali Solanki, one of the team members of the Saksham Sanchar Foundation, from Ratlam pens down an interesting story on how a king’ love for cactus brought the world famous garden in Ratlam. This plush green place is known as Cactus Garden which is the biggest in Asia….
The write up from Anjali Solanki
फूल तो सबको ही आकर्षित करते हैं अपनी खुशबू से अपने रंग से और अपने सुन्दर सुन्दर आकृति से, और इसी लिए कोई इससे खरीद कर लेता है तो कोई किसी को ख़ुश करने के लिए इसे अपने पसंदीदा शख्स को देता है औरकोई इसका गार्डन ही बना लेता है। पर क्या कभी ऐसा सोंचा है की किसी को कांटे इतने आकर्षित लगे की वह पूरे 2,000 से भी ज्यादा प्रजाति के काँटों का बगीचा अपने ही आशियाने में लगवा ले… जी है सही पढ़ रहे है आप काँटों का बगीचा तो चलो आज आपको बताते है एक ऐसे राजा की कहानी जिसने अपने काँटों के प्रति प्रेमम कुछ ऐसे व्यक्त किया के दूर दूर से लेकर तरह तरह के काँटों को अपने ही महल के बगीचे में लगवा लिया | राजा दिग्विजय सिंह राठौर यही है वो जिन्हे फूलों ने नहीं काँटों ने आकर्षित किया था|
ऐसे हुआ था कैक्टस से प्यार
राजा दिग्विजय सिंह राठौर 1958 में जर्मनी की यात्रा पर गए थे, जहां घूमने के दौरान उन्होंने कैक्टस देखे और वे इतने खुश हुए की उन्होंने चाहा के यह तो हमरे पास भी होना चाहिए इतने अलगअलग आकृति के कांटे और इन काँटों में भी खूबसूरती है। और फिर क्या था उन्होंने ठान ली थी की अब वे इसे अपने बगीचे में भी लगाएंगे, और फिर उन्होंने अलग अलग देश से कैक्टस के पौधे मंगवाएं लेकिन यहां की मिटटी उनके लिए अनुकूल नहीं थी, फिर उन्होंने उन पौधो के लिए अनुकूल मिटटी भी दूसरे देशों से मंगवाई और ऐसे बन गया रतलाम के सैलाना में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा कैक्टस गार्डन |
2000 प्रजाति के कांटे
कैक्टस गार्डन में करीब 2,000 प्रजाति के कैक्टस है, और इनकी आज भी उतनी ही देख भाल की जाती है जितनी उस समय की जाती थी | रतलाम से महज 25 किलोमीटर दूर सैलाना में स्थित है यह विशाल गार्डेनकैंटो का गार्डन जिसे कैक्टस गार्डन के नाम से जाना जाता है।
वनस्पतिशास्त्र शोध के लिए आते हैं छात्र
कैक्टस में खिलने वाले फूल भी दुनिया के सबसे सुंदर फूलों में गिने जाते है। और साथ यह जड़ीबूटी में भी उपयोग होता है और इसीलिए वनस्पतिशास्त्र में शोध करने वाले भी बहुत से प्रोफेसर और छात्र यहां आते हैं।