Anjali Solanki, one of the team members of the Saksham Sanchar Foundation, from Ratlam pens down about famous Ratlami Sev.
The write up from Anjali Solanki
रतलाम: हम आपको भारत के हृदय मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर रतलाम या इसकी प्रसिद्धि के खास कारण से परिचित कराएंगे। हर शहर की किसी न किसी चीज़, व्यक्ति, स्थान के लिए अपनी प्रतिष्ठा होती है, जो हमें हमारे शहर को जानने या खास बनाने में मदद करती है, चाहे वह आगरा का ताज महल हो, बनारस का पान, उज्जैन का महाकाल या जयपुर का हवा महल। ठीक उसी तरह आज हम जा रहे हैं रतलाम, वैसे तो ये एक आम शहर है लेकिन इसे खास बनाती है यहां की सेव जो पूरे भारत में मशहूर है… अब सवाल ये है कि सेव का चलन कहां से आया या है यह इतना प्रसिद्ध है? पूरे भारत में ऐसा कैसे हुआ।
रतलामी सेव की न केवल एक स्वादिष्ट नमकीन है, बल्कि हमारे कई पसंदीदा खाने पर एक खास टॉपिंग भी है – सेवपुरी और भेलपुरी से लेकर पापड़ी चाट, दाल चावल, पोहा और भी बहुत कुछ जिसका स्वाद का आनंद इसके बिना मजा नहीं देता यह सबसे साधारण व्यंजनों को भी बेहतर बनाने का एक सरल तरीका है, और न केवल भारत भर में, बल्कि सिंगापुर, अमेरिका, चीन और यूके सहित दुनिया भर में एक पसंदीदा नमकीन के रूम में है। और खास तौर पर मालवा में बिना इसके खाना मतलब क्या खाना,मेहमानों को नाश्ता देने से लेकर शादियों, पार्टियों में इसका एक स्टॉल न हो तो क्या ही खिलाया।
और रतलामियों के लिए यह सिर्फ एक नमकीन नहीं जज़्बात जैसा है। एक दम खास….
2015 में, इस नमकीन को प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिया गया।” एक ऐसा दर्जा है जो विशेष रूप से किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित उत्पाद को दिया जाता है। उस विशेष उत्पाद की गुणवत्ता, प्रतिष्ठा और किसी भी अन्य विशेषताओं को आम तौर पर उत्पाद की भौगोलिक उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।”
रतलामी सेव की उत्पत्ति मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के एक छोटे से शहर रतलाम में हुई, जो पहले एक समृद्ध संस्कृति वाला एक राजसी राज्य था। पहले रत्नपुरी के नाम से जाना जाने वाला, रतलाम का निर्माण राजा रतन सिंह राठौड़ जो जोधपुर के राजा उदय सिंह के परपोते थे उन्होंने 1652 में किया था। राज रतन सिंह और उनके पहले बेटे राम सिंह के नाम पर रखा गया रथराम, उनकी राजधानी बन गया, और फिर बाद में समय के साथ यह रथराम से रतलाम हो गया।
इसके बाद 19वीं शताब्दी में हुई रतलाम से सेव की उत्पत्ति तब जब मुगल सम्राट राज्य के मालवा क्षेत्र के दौरे पर आए हुए थे। और इस दौरान उन्हें अचानक सेवइयाँ खाने की इच्छा हुई सम्राट की इस इच्छा को शांत करने के लिए, मुगलों ने भील के स्थानीय आदिवासी समुदाय से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध बेसन से सेवइयां बनाने का अनुरोध किया।और बस यहीं से रतलामी सेव की पहली रेसिपी तैयार हुई। मूल रूप से, सेंवई को दिया गया नाम भील जनजाति के नाम पर भीलडी सेव था, जिन्हें सेव के मूल निर्माता के रूप में श्रेय दिया जाता है।
रतलाम की सेव का जिक्र जाने माने टीवी शो “तारक मेहता का उल्टा चश्मा” से लेकर अमिताभ बच्चन द्वारा संचालित”कौन बनेगा करोड़पति ” जैसे शोज़ में किया गया जिससे इसकी लोकप्रियता और प्रतिष्ठा देश भर के साथ साथ दुनिया भर में हुई है। रतलाम में सेव के अलग अलग फ्लेवर भी सामने आते है, जैसे की पालक की सेव, लौंग की सेव, टमाटर की सेव, काली मिर्च की सेव, और भी भूत सारी वेराइटी में सेव उपलब्ध होती है।